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गंडक चंडी शक्तिपीठ के बारे में
गंडक चंडी शक्तिपीठ नेपाल में गंडकी नदी के पास स्थित एक पूजनीय तीर्थ स्थल है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक है, जहाँ माना जाता है कि भगवान शिव के तांडव के दौरान देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। पीठासीन देवी की पूजा चंडी (दुर्गा का एक उग्र रूप) के रूप में की जाती है, और भगवान शिव को यहाँ ईश्वर (सर्वोच्च भगवान) के रूप में पूजा जाता है।
क्या अपेक्षा करें?
नेपाल में गंडकी नदी के पास स्थित गंडक चंडी शक्तिपीठ, नदी और आसपास के परिदृश्यों की प्राकृतिक सुंदरता के बीच देवी चंडी और भगवान ईश्वर की पूजा करने वाले भक्तों की आस्था को विकसित करता है। यह स्थल अपने पवित्र शालिग्राम पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है, जो भगवान विष्णु के स्वरूप हैं, जो नदी के तल में पाए जाते हैं। मंदिर एक शांतिपूर्ण माहौल, पारंपरिक अनुष्ठान और हिंदू और स्थानीय संस्कृतियों का मिश्रण प्रदान करता है, जो इसे आध्यात्मिक साधकों के लिए एक प्रिय तीर्थ स्थल बनाता है।
टिप्स विवरण
गंडक चंडी शक्तिपीठ के बारे में अधिक जानकारी
गंडकी शक्ति पीठ 51 शक्ति पीठों में से एक है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव के ससुर राजा दक्ष ने एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें राजा दक्ष ने भगवान शिव और अपनी पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया, क्योंकि वह भगवान शिव को अपने बराबर का नहीं मानते थे। माता सती को यह अपमानजनक लगा और वह अपने पिता के यहां इस अपमान के बारे में पूछने गईं। वहां पहुंचकर राजा दक्ष ने भगवान शिव के खिलाफ आपत्तिजनक शब्द कहे, जिससे वह क्रोधित हो गईं और हवन कुंड में कूद गईं। जब पता चला तो भगवान शंकर वहां पहुंचे और माता सती के शरीर को हवन कुंड से बाहर निकाला और तांडव करना शुरू कर दिया, जिससे पूरे ब्रह्मांड में उथल-पुथल मच गई। पूरे संसार को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया, जो अंग/आभूषण जहां गिरे, वे शक्ति पीठ बन गए।
गंडकी शक्ति पीठ में माता सती का "गाल" गिरा था। यहां माता सती को 'गंडकी चंडी' और भगवान शिव को 'चक्रपाणि' के नाम से जाना जाता है।
गंडक चंडी शक्तिपीठ कैसे पहुंचे?
गंडक चंडी शक्तिपीठ सेवाएँ
गंडक चंडी शक्तिपीठ आरती का समय
आरती का कोई विशेष समय नहीं है।
पर्यटक स्थल
गंडक चंडी शक्तिपीठ की स्थानीय भोजन विशेषता
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